आदित्य एल-1 मिशन: इसरो के वैज्ञानिकों का सूर्य के अध्ययन में भी बड़ा योगदान, जाने कैसे

नई दिल्ली, AYT News | बीते दिनों इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने आदित्य एल-1 मिशन को लॉन्च किया है, और इस मिशन में शामिल तीन वैज्ञानिक इस अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो प्रयागराज के निवासी हैं। इन वैज्ञानिकों ने यान की नियंत्रण प्रणाली को तैयार करने से लेकर अलग-अलग अध्ययनों के लिए पेलोड तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

चंद्रयान-तीन मिशन में अहम जिम्मेदारियों का निर्वाचन करने वाले इन वैज्ञानिकों की अब आदित्य मिशन की सफलता काफी हद तक निर्भर है। इन विशेषज्ञों ने अपने योगदान के माध्यम से प्रयागराज का मान बढ़ाया है, और वे इसरो के मुख्यालय में अपनी भूमिका में काम कर रहे हैं, जब से इस मिशन की तैयारियों में जुटे हैं।

इसरो के त्रिवेंद्रम के चार विभिन्न विभागों का नेतृत्व कर रहे इन विज्ञानीयों में से एक हैं और वे विभिन्न उपग्रहों के उप परियोजना निदेशक (डीपीडी) भी हैं। उन्होंने ओशनसैट-3 श्रृंखला के उपग्रहों और आदित्य एल-1 मिशन के लिए विभिन्न उन्नत इलेक्ट्रो-मैकेनिकल पेलोड सिस्टम भी डिजाइन और विकसित किया है। इन विशेषज्ञों ने बताया कि मिशन में लगे पेलोड सूर्य की एक्टिविटी से पृथ्वी के वातावरण पर प्रभाव और इससे पूर्वानुमान का मदद करेंगे। साथ ही कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से सौर हवाओं, आयनाइज्ड पार्टिकल और प्लाज्मा का भी अध्ययन होगा।

इसरो के इस नए मिशन के साथ, इन विज्ञानीयों का महत्वपूर्ण योगदान इस्रो की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में बढ़ती हुई क्षमता का प्रतीक है, और वे सूर्य और अन्य उपग्रहों के अध्ययन में अपने विशेषज्ञता का सार्थक उपयोग कर रहे हैं।

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