J.C. BOSE UNIVERSITY, YMCA में इंडक्शन प्रोग्राम का तीसरा दिन भारत की गौरवशाली ज्ञान परम्परा पर रहा केंद्रित


नई दिल्ली, AYT News | जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद फैकल्टी ऑफ़ लिबरल आर्ट्स एंड मीडिया स्टडीज और मीडिया तकनीकी विभाग द्वारा पत्रकारिता एवं जनसंचार, विसुअलकम्युनिकेशन एंड मल्टीमीडिया एवं सोशल वर्क के विद्यार्थियों के लिए इंडक्शन प्रोग्राम का तीसरा दिन भारत की गौरवशाली ज्ञान परम्परा पर केन्द्रित रहा।

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए संचार एवं मीडिया तकनीकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पवन सिंह ने बताया कि इंडक्शन प्रोग्राम के तीसरे दिन मुख्या वक्ता के रूप में अग्रवाल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. के. के. गुप्ता तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में बालाजी ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन के निदेशक जगदीश चौधरी ने भारत की गौरवशाली ज्ञान परम्परा पर छात्रों से प्रश्नोत्तर के माध्यम से संवाद किया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. के. के. गुप्ता ने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में सीखने और शारीरिक विकास दोनों पर ध्यान केंद्रित किया। सर्वांगीण विकास भारतीय शिक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली ज्ञान, परंपराएं और प्रथाएं मानवता को प्रोत्साहित करती हैं। भारतीय ज्ञान परम्परा महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रसिद्धि थी जिसमें मैत्रेयी, ऋतम्भरा, गार्गी और लोपामुद्राआदि जैसे नाम प्रमुख थे। बोधायन, कात्यायन, आर्यभट्ट, चरक, कणाद, वाराहमिहिर, नागार्जुन, अगस्त्य, भर्तृहरि, शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद जैसे अनेकानेक महापुरुषों ने भारत भूमि पर जन्म लेकर अपनी मेधा से विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा के समिद्ध हेतु अतुल्य योगदान दिया है। अनुसंधान एवं ज्ञान के परिदृश्य में पूरा विश्व तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में आवश्यक है की हम सभी अपनी गौरवशाली ज्ञान परम्परा को ध्यान में रख विश्व पटल अपनी धक् मजबूत करें।

शिक्षा नीति 2020 केअनुसार 2040 तक भारत के लिए एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का लक्ष्य होगा जो कि किसी से पीछे नहीं है। ऐसी शिक्षा व्यवस्था जहां किसी भी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से संबिंधत शिक्षार्थियों को समान रूप से सर्वोच्च गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी। यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है जिसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना है तथाभारत की परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार को बरकरार रखते हुए, 21वीं सदी की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करना है।

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