प्रतीकात्मक चित्र |
पटना, AYT News | देश की राजधानी दिल्ली में प्रवासी मजदूरों में अधिकांश संख्या बिहार के लोगो की होती है | जो अपना घर, परिवार छोड़ कर दूसरे राज्य में काम की तलाश में आ जाते है, जहां ना कोई अपना होता है और ना ही जरूरत के समय उनकी सहायता करने वाला | कोरोना काल में लॉकडाउन के समय हिंदुस्तान समाचार में पब्लिश एक खबर ने अनायास ही लोगो का ध्यान अपनी तरफ खींचा था | दिल्ली से बिहार जाने में भी ट्रैन के द्वारा समान्यत 24 घण्टे का टाइम लगता है, कुछ ट्रैन अपना ये सफर 15 से 17 घंटो में भी पूरी कर लेती वही बेगूसराय के छौराही प्रखंड जो की रोसड़ा से लगता है वहाँ के 6 युवको ने 15 दिनों में ये दुरी नाप ली | जब सड़क पर चलते हुए पुलिस वाले ने रोका तो रेलवे की पटरी का सहारा लेकर चलने लगे | लॉकडाउन के शुरुआत में फैक्ट्री मालिक ने कुछ दिन तक राशन भी दिया लेकिन जब वह मिलना भी बंद हो गया तो हार कर अपने अपने गावो की तरफ चल निकले | कई दिनों तक सिर्फ पानी और बिस्कुट खा कर चलते रहे फिर जब बिहार बॉर्डर क्रॉस किया तो स्थानीय लोगो ने सहायता की, किसी ने चूड़ा तो किसी ने गुड़, दालमोट खाने को दिया | आखिर में जब वो रोसड़ा रेलवे पुल के समीप आराम कर रहे थे तो रोसड़ा पुलिस ने उनसे पता पूछ कर क्वारंटाइन में भेज दिया |
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