हाथ में ले लो सुदर्शन चक्र, कान्हा बांसुरी वादन का ये अवसर नहीं है : डॉ स्वामी श्यामानंद सरस्वती


नई दिल्ली, AYT News | कुंवर सिंह नगर, सुप्रसिद्ध गीतकार-कवि छन्द शिल्पी डॉ. स्वामी श्यामानंद सरस्वती जी की पावन स्मृति में एक "सरस कवि सम्मेलन " कुँअर सिंह नगर नांगलोई नई दिल्ली में आयोजित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ शारदे के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर सुप्रसिद्ध हिन्दी सेवी श्री प्रवीण गोयल व श्री बृजेश गर्ग ने किया।अध्यक्षता राष्ट्रीय गीतकार डॉ.जय सिंह आर्य दिल्ली ने की। भोपाल से पधारे दैनिक निर्दलीय टाइम्स के प्रधान संपादक कैलाश मानव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे। सान्निध्य अतिथि रहे बहादुरगढ़ हरियाणा से पधारे सुप्रसिद्ध कवि कृष्ण गोपाल विद्यार्थी । इर अवसर पर राष्ट्रीय चिन्तन अशोक निर्वाण का आशीर्वाद मिला। सम्मेलन का शानदार जानदार संचालन गुरुग्राम से पधारे श्री राजेंद्र निगम 'राज' ने किया।

गुरुग्राम हरियाणा से पधारी सुप्रसिद्ध गीतकार इंदु निगम की सुमधुर वाणी वंदना से कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ, तत्पश्चात कवयित्री-गीतकार सीमा रंगा की इस कविता को तालियों के साथ सुना गया बानगी:-

"सुन लो बात मात-पिता की कहना इनका मानो।

इन्हें पता है दुनिया कैसी,बातें इनसे जानो।"



कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने निर्धन की पीड़ा कविता में सुनाकर वातावरण गमगीन कर दिया बानगी:-

"ग़म के मारों को दुनिया के उत्थान से क्या,उत्कर्ष से क्या।

है पेट को मतलब रोटी से,उस वर्ष से क्या इस वर्ष से क्या।"



नोएडा उत्तर प्रदेश पधारे प्रबल प्रताप राणा ने प्राण प्रतिष्ठा पर अपने विचार यूँ व्यक्त किये बानगी:-

"राम पधारेंगे निज गृह, हम दिपावली मनाएंगे,

हृदय हमारे बसे हुए, हम दिपावली मनाएंगे ।

समर्पण और नेतृत्व मिला तो सारी बाधाएँ फिर दूर हुई।

राम भक्त जुड़ गए तो मंदिर निर्माण भी पूर्ण हुई।"


दिल्ली की जानी मानी कवयित्री-गीतकार डॉ. सीमा वत्स की कविता को बड़े चाव से सुना गया:-

"जिगर की पीर से लड़ना

नयन के नीर से लड़ना।

हाँ आता है मुझे रूठी हुई तक़दीर से लड़ना।।"



सुप्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि ओमप्रकाश कल्याणे के इस मुक्तक ने ख़ूब दाद पाई:-

"पहले मन का रावण मारो तब होगी जय

राम को अपने मन में धारो तब होगी जय

प्यार प्रेम की भाषा जब दुश्मन न समझे

घर में घुस उसको संहारो तब होगी जय।"



कवयित्री लता कल्याणे नारी पर कविता पढ़ते हुए कहा:-

"घर की चार दीवारी में कैद

अपने अकेलेपन से लड़ती

चुप है वो

क्योंकि चुप्पी से ही घर बनता है।"


कवि डॉक्टर अखिलेश अकेला ने अपनी कविता से सरस्वती के पुत्रों की महिमा का बखान किया और कहा -

"सरस्वती के पुत्रों का यश

इस धरती पर छाया है।

मानव का तन धारण कर

सौभाग्य उतरकर आया है।"



इस अवसर पर सुप्रसिद्ध मुरली वादक- गीतकार राजबीर देवसर का सम्मान प्रतीक चिन्ह, शाल व श्रीफल से किया गया । ग़ज़लकार रमाशंकर व दोहाकार हरेंद्र यादव फकीर ने अपनी ग़ज़लों व दोहों से वातावरण को रसमय बनाया | गीतकार मनोज मिश्र 'कप्तान ' के राममयी गीतों ने सभी को झूमाकर रख दिया। बाल कवि अंश द्विवेदी ने अपनी कविता "हमे फौज बनानी है" सुनाकर वातावरण में जोश भर दिया। भोपाल मध्य प्रदेश से पधारे मुख्य अतिथि निर्दलीय समूह के संपादक सुप्रसिद्ध कवि-गीतकार कैलाश मानव ने अपने उद्बोधन में साहित्य के क्षरण पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि यह साहित्यकारों का कर्तव्य है कि वे अतीत से प्रेरणा ग्रहण करते हुए साहित्य को पुन: ऊंचाइयों पर पंहुचाएं । उन्होंने सर्व प्रथम एक गीत प्रस्तुत किया

"दर्द से रिश्ता घना है,

डूब कर लिखना मना है।"



तत्पश्चात उन्होंने शब्दांजलि प्रस्तुत की जिस पर उन्हें भरपूर दाद मिली । उनके गीत के बोल थे:-

"कविता एक सोपान हो गई,

शब्द शब्द मिल गान हो गई ।"



कवि सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ जयसिंह आर्य ने अपने गुरुवर डॉ स्वामी श्यामानंद सरस्वती का यह मुक्तक सुनाकर उनकी पावन स्मृति को नमन किया:-

"प्रेम अभिवादन का ये अवसर नहीं है

रुप अवसादन का ये अवसर नहीं है।

हाथ में ले लो सुदर्शन चक्र कान्हा

बांसुरी वादन का ये अवसर नहीं है।"



इसके बाद देश के गद्दारों पर मुक्तक पढ़ा जिसने श्रोताओ की ख़ूब वाह वाही लूटी:-

"इनका संहार देख लेना तुम

दुष्टों की हार देख लेना तुम

सारे रावण मरेंगे निश्चित ही

राम का वार देख लेना तुम"



हास्य व्यंग्य के सुप्रसिद्ध हस्ताक्षर विनोद पाराशर ने अपनी हास्य-व्यंग्य कविताओ से सभी को हँसा-हँसाकर लोट-पोट कर दिया कार्यक्रम की अभूतपूर्व सफलता पर कैप्टन सुभाष, श्रीपाल, रामकुमार वर्मा बी के शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।

रिपोर्ट - अखिलेश द्विवेदी


( यह न्यूज़ दिल्ली के प्रतिष्ठित समाजसेवी अखिलेश द्विवेदी के द्वारा भेजी गयी है )


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